Trading in Hindi : जानिए शेयर मार्केट में ट्रेडिंग क्या होता है?

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Trading in Hindi : जानिए शेयर मार्केट में ट्रेडिंग क्या होता है?

आज के लेख what is Trading in Hindi में हम जानेंगे कि trading kya hota hai और खासकर शेयर मार्केट के संदर्भ में ट्रेडिंग का क्या मतलब होता है. तो आइए शुरू करते हैं.

शेयर बाजार में ट्रेडिंग स्टॉक, बॉन्ड या ऑप्शंस जैसे प्रतिभूतियों में निवेश करने का एक तरीका है। इसमें मुनाफा कमाने के लिए प्रतिभूतियों को खरीदना और बेचना शामिल है।

ट्रेडिंग एक जटिल प्रक्रिया है जिसके लिए वित्तीय बाजारों का ज्ञान, तकनीकी विश्लेषण और कारोबारी माहौल की अच्छी समझ की आवश्यकता होती है।

ट्रेडिंग क्या है?

ट्रेडिंग का हिंदी में मतलब होता है ‘व्यापार’। किसी वस्तु या सेवा का खरीदी-बिक्री करके लाभ अर्जित करना ट्रेडिंग या व्यापार कहलाता है।

Stock Market Trading भी इसी तरह होता है, इसमें स्टॉक, बॉन्ड तथा अन्य प्रतिभूतियों का खरीदी-बिक्री करके मुनाफा कमाया जाता है.

शेयर मार्केट में ट्रेडिंग क्या है?

शेयर मार्केट में ‘ट्रेडिंग’ सिक्योरिटीज को खरीदने और बेचने की प्रक्रिया है, जैसे स्टॉक, बॉन्ड, म्यूचुअल फंड या ऑप्शंस को खरीदना और बेचना।

Trading में निवेशक शेयर मार्केट से शेयर को खरीदने और बेचने का काम करते है. निवेशक पहले शेयर को stock exchange से कम price पर buy कर लेते है और जब उस शेयर की price high हो जाती है तो उसे sell कर देते है. इस प्रक्रिया को ट्रेडिंग कहते है.

शेयर मार्केट में ट्रेडिंग सुबह 9:15 AM से लेकर दोपहर के 3:30 PM के बीच में किया जाता है. क्योंकि शेयर मार्केट सुबह 9:15 AM पर खुलती है और 3:30 PM पर बंद हो जाती है.

जब सुबह 9:15 AM पर शेयर मार्केट खुलती है तब ट्रेडर्स कम दाम में शेयर को खरीद लेते हैं और दोपहर के 3:30 बजे मार्केट बंद होने के पहले शेयर को बेच देते है.

ट्रेंडिंग व्यक्तिगत निवेशकों और संस्थागत निवेशक दोनों के द्वारा किया जाता है।

यह निवेशकों के लिए, लाभ कमाने के उद्देश्य से वित्तीय बाजारों में अपना पैसा निवेश करने का एक तरीका है।

शेयर मार्केट में ट्रेडिंग कितने प्रकार का होता है?

शेयर मार्केट में ट्रेडिंग चार प्रकार की होती है जिसे हम Scalping Trading, Intraday Trading, Swing Trading और Positional Trading कहते है.

Stock Market Trading Types:

1. Scalping Trading

2. Intraday Trading

3. Swing Trading

4. Positional Trading

1. Scalping Trading क्या है?

स्कैल्पिंग ट्रेडिंग एक शॉर्ट टर्म ट्रेडिंग स्ट्रेटजी है जिसमे छोटे price मूवमेंट से मुनाफा कमाने के उद्देश्य से ट्रेड किया जाता है। शेयर buy करने के कुछ सेकंड या मिनट के बाद उसे sell कर दिया जाता है।

जैसे 9:30 AM पर शेयर को खरीद कर होल्ड करना और जैसे ही शेयर प्राइस कुछ मिनट बाद थोड़ा सा ऊपर जाता है (9:50 AM पर) शेयर को बेच कर मुनाफा कमा लेना.

2. intraday trading in hindi:

इंट्राडे ट्रेडिंग, जिसे डे ट्रेडिंग के रूप में भी जाना जाता है, एक ऐसी ट्रेडिंग रणनीति है जहां एक ही ट्रेडिंग दिन के भीतर stock or currencies जैसी प्रतिभूतियों को खरीदा और बेचा जाता है।

इंट्राडे ट्रेडर्स का लक्ष्य एक ही दिन में होने वाले छोटे मूल्य उतार-चढ़ाव का फायदा उठाकर मुनाफा कमाना है।

3. Swing Trading क्या है?

स्विंग ट्रेडिंग सबसे ज्यादा यूज की जाने वाली ट्रेडिंग स्ट्रेटजी है। स्विंग ट्रेडिंग में शेयर्स को खरीद के short-term के लिए कुछ दिनों या हफ्तों के लिए होल्ड किया जाता है और जब इन शेयर्स का मूल्य बढ़ जाता है तो उन्हें बेच दिया जाता है।

4. Positional Trading क्या है?

पोजीशनल ट्रेडिंग मैं बेसिकली होता यह है कि किसी भी कंपनी के शेयर को 1 हफ्ते के लिए, 1 महीने के लिए, 6 महीने के लिए या ज्यादा से ज्यादा 1 साल के लिए buy करके होल्ड किया जाता है. और फिर उन्हें बेचकर प्रॉफिट कमाया जाता है।

पोजीशन ट्रेडिंग में अगर आपका रिसर्च proper है. आपने सही से एनालिसिस किया है तो इसमें आप 1 साल के अंदर ही बहुत सारे पैसे कमा सकते हैं।

ट्रेडर्स कितने प्रकार के होते हैं?

शेयर बाजार में मुख्य रूप से तीन तरह के ट्रेडर्स होते हैं:

1. डे ट्रेडर्स:

डे ट्रेडर्स एक ही दिन में सिक्योरिटीज खरीदते और बेचते हैं। उनका लक्ष्य एक कारोबारी दिन के भीतर शेयर बाजार में उतार-चढ़ाव से मुनाफा कमाना है।

 2. स्विंग ट्रेडर्स:

स्विंग ट्रेडर्स कुछ दिनों से लेकर कुछ हफ्तों तक सिक्योरिटीज रखते हैं। उनका लक्ष्य शेयर बाजार में शॉर्ट टर्म price मूवमेंट से लाभ प्राप्त करना है।

3. पोजिशन ट्रेडर्स:

पोजिशन ट्रेडर्स हफ्तों, महीनों या वर्षों के लिए प्रतिभूतियां रखते हैं। उनका लक्ष्य शेयर बाजार में लंबी अवधि के ट्रेंड्स से लाभ उठाना है।

Strategies Used in Trading:

ट्रेडिंग में विभिन्न तरह के strategies का उपयोग किया जाता है, और स्ट्रेटजी का चुनाव व्यापारी के निवेश लक्ष्यों, जोखिम सहिष्णुता और बाजार की स्थितियों पर निर्भर करता है।

ट्रेडर्स द्वारा उपयोग की जाने वाली कुछ सबसे आम स्ट्रेटेजिस निम्नानुसार हैं:

1. Fundamental Analysis:

फंडामेंटल एनालिसिस में कंपनी के वित्तीय विवरणों का विश्लेषण करना शामिल है, जैसे कि income statement, balance sheet, and cash flow statement, ताकि इसके आंतरिक मूल्य का निर्धारण किया जा सके.

2. Technical Analysis:

टेक्निकल एनालिसिस में शेयर बाजार में ट्रेंड्स और पैटर्न की पहचान करने के लिए चार्ट और इंडिकेटर्स का उपयोग करना शामिल है।

3. Quantitative Analysis:

क्वांटिटेटिव एनालिसिस में वित्तीय डेटा का विश्लेषण करने और पैटर्न और ट्रेंडा की पहचान करने के लिए गणितीय मॉडल का उपयोग करना शामिल है।

4. High-Frequency Trading:

हाई-फ़्रीक्वेंसी ट्रेडिंग में हाई स्पीड पर प्रतिभूतियों का व्यापार करने के लिए कंप्यूटर एल्गोरिदम का उपयोग करना शामिल है।

5. News Trading:

न्यूज ट्रेडिंग में समाचार या सूचना के आधार पर प्रतिभूतियां खरीदना या बेचना शामिल है। ऐसी सूचनाएं जो शेयर बाजार को प्रभावित कर सकते हैं। उनके आधार पर ट्रेडिंग किया जाता है।

6. Value Investing:

वैल्यू इन्वेस्टिंग में अंडरवैल्यूड स्टॉक की पहचान करना और लंबी अवधि के लिए उनमें निवेश करना शामिल होता है।

7. Growth Investing:

ग्रोथ इन्वेस्टमेंट में उन कंपनियों के शेयरों में निवेश करना शामिल है, जिनके बाजार की तुलना में उच्च दर से बढ़ने की उम्मीद है।

8. Momentum Trading:

मोमेंटम ट्रेडिंग में उन शेयरों को खरीदना शामिल है, जो अपवर्ड ट्रेंड में हैं और उम्मीद जगाया है की वे आगे भी ऊपर की ओर बढ़ते रहेंगे।

9. Arbitrage:

आर्बिट्रेज ट्रेडिंग में मूल्य विसंगतियों का लाभ उठाने के लिए डिफरेंट मार्केट्स में प्रतिभूतियों को खरीदना और बेचना शामिल है।

10. Options Trading:

ऑप्शंस ट्रेडिंग में ऑप्शंस कॉन्ट्रैक्ट्स को खरीदना और बेचना शामिल होता है जो धारक को पूर्व निर्धारित मूल्य पर सुरक्षा खरीदने या बेचने का अधिकार देता है।

11. Scalping:

स्केलिंग में प्रत्येक ट्रेड पर एक छोटा लाभ बनाने के लिए सेकंड या मिनट के भीतर प्रतिभूतियों को खरीदना और बेचना शामिल है।

12. Position Trading:

पोजीशन ट्रेडिंग में लंबे समय तक पोजीशन रखना शामिल है, अक्सर कई महीनों या वर्षों के लिए।

Risks Involved in Trading | ट्रेडिंग में शामिल जोखिम:

शेयर बाजार में ट्रेडिंग में विभिन्न तरह के जोखिम शामिल होते हैं, और ट्रेडर्स को अपना पैसा निवेश करने से पहले उनके बारे में पता होना चाहिए।

ट्रेडिंग में शामिल कुछ सबसे आम जोखिम निम्नानुसार हैं:

1. मार्केट रिस्क:

शेयर बाजार में उतार-चढ़ाव के कारण धन खोने का जोखिम होता है।

2. लिक्विडिटी रिस्क:

लिक्विडिटी रिस्क का मतलब होता है खरीदारों या विक्रेताओं की कमी के कारण प्रतिभूतियों को खरीदने या बेचने में सक्षम नहीं होना. लिक्विडिटी रिस्क कहलाता है।

3. क्रेडिट रिस्क:

कोई कंपनी यदि अपने कर्जे के कारण डिफॉल्ट कर जाता है तो इससे ट्रेडर का जो पैसा इस कंपनी के शेयर्स पर इन्वेस्ट हैं वो डूब सकता है। इसे क्रेडिट रिस्क कहते हैं।

4. इंटरेस्ट रेट रिस्क:

ब्याज दर जोखिम ब्याज दरों में बदलाव के कारण पैसे खोने का जोखिम है।

5. पॉलिटिकल रिस्क:

राजनीतिक जोखिम सरकारी नीतियों में बदलाव, जियो-पॉलिटिक्स घटनाओं या नागरिक अशांति के कारण धन खोने का जोखिम है।

6. ऑपरेशनल रिस्क:

ऑपरेशनल रिस्क सिस्टम की विफलताओं, मानवीय त्रुटि या धोखाधड़ी के कारण पैसे खोने का जोखिम है।

7. रेपुटेशन रिस्क:

रेपुटेशन रिस्क किसी कंपनी की प्रतिष्ठा को नुकसान पहुंचने के कारण उसके स्टॉक वैल्यू में कमी को वजह एस3 पैसे खोने का जोखिम है, जैसे कि एक घोटाला या नकारात्मक प्रचार।

8. रेगुलेटरी रिस्क:

रेगुलेटरी रिस्क शेयर बाजार को प्रभावित करने वाले नियमों या कानूनों में बदलाव के कारण धन खोने का रिस्क है।

सक्सेसफुल ट्रेडिंग के लिए टिप्स:

शेयर बाजार में एक सफल ट्रेडर बनने के लिए वित्तीय बाजारों और व्यापारिक रणनीतियों की ठोस समझ होना जरूरी है। सफल ट्रेडिंग के लिए यहां कुछ सुझाव दिए गए जिन्हें फॉलो करना आपके लिए फायदेमंद साबित हो सकता है :

1. खुद को शिक्षित करें:

वित्तीय बाजारों, व्यापारिक रणनीतियों और निवेश सिद्धांतों के बारे में जानने के लिए समय निकालें। अपनी ट्रेडिंग और शेयर बाजार से जुड़ी नॉलेज को लगातार बढ़ाते रहें।

2. यथार्थवादी लक्ष्य निर्धारित करें:

अपने जोखिम सहनशीलता, निवेश सीमा और वित्तीय स्थिति के आधार पर यथार्थवादी निवेश लक्ष्य निर्धारित करें।

3. एक ट्रेडिंग प्लान विकसित करें:

एक ट्रेडिंग प्लान विकसित करें जो आपकी investment strategy, risk management, और trading rules की रूपरेखा तैयार करे।

4. रिस्क मैनेजमेंट:

रिस्क को मैनेज करने के लिए रिस्क मैनेजमेंट तकनीकों का उपयोग करें, जैसे डायवर्सिफिकेशन, स्टॉप-लॉस ऑर्डर और position sizing.

5. अनुशासित रहें:

अपनी ट्रेडिंग योजना पर टिके रहें और डर या लालच के आधार पर भावनात्मक निर्णय लेने से बचें।

6. खबरों से अवगत रहें:

बाजार की उन खबरों और घटनाओं से अवगत रहें जो आपके निवेश को प्रभावित कर सकते हैं।

7. टेक्निकल एनालिसिस का प्रयोग करें:

शेयर बाजार में ट्रेंड्स और पैटर्न की पहचान करने के लिए टेक्निकल एनालिसिस का उपयोग करें।

8. धैर्य रखें:

धैर्य रखें और शॉर्ट-टर्म मार्केट मूवमेंट के आधार पर आवेगी (impulsive) ट्रेड करने से बचें।


नीचे पिन की गई वीडियो में Trading in Hindi के बारे में काफी अच्छे से समझाया गया है। इसपर क्लिक करके इसे जरूर देखें 👇

©True investing


FAQ

[sc_fs_faq html=”true” headline=”h2″ img=”” question=”प्र: डे ट्रेडिंग क्या है? ” img_alt=”” css_class=””] ऊ: एक कारोबारी दिन के भीतर शेयर मार्केट के खुलने से लेकर उसके बंद होने के पहले तक प्रतिभूतियों को खरीदना और बेचना डे ट्रेडिंग कहलाता है। [/sc_fs_faq]

Final words

शेयर बाजार में ट्रेडिंग आपके पैसे को निवेश करने का एक लाभदायक तरीका हो सकता है, लेकिन इसमें जोखिम भी शामिल हैं जिन्हें मैनेज किया जाना चाहिए।

ट्रेडर्स को सफल होने के लिए वित्तीय बाजारों, व्यापारिक रणनीतियों और जोखिम प्रबंधन तकनीकों की ठोस समझ होनी चाहिए।

इन tips और strategies का पालन करके, ट्रेडर्स शेयर बाजार में लाभ कमाने की संभावना को कई गुना बढ़ा सकते हैं।

इन्हें भी पढ़ें:

• शेयर मार्केट क्या है

• शेयर कब खरीदें बेचें

• शेयर कैसे खरीदा जाता है

• स्टॉक मार्केट क्रैश मीनिंग

• ईटीएफ क्या है।

इस लेख में आपने जाना

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