Intraday trading in Hindi PDF : इंट्रा डे ट्रेडिंग के बारे में जानकारी और टिप्स (2024)

Intra day trading in Hindi | PDF | बेसिक्स ऑफ इंट्राडे ट्रेडिंग | Intraday trading tips in Hindi | इंट्राडे चार्ट क्या है | डे ट्रेडिंग के लिए ब्रोकर कैसे चुनें | इंट्रा डे ट्रेडिंग में शामिल जोखिम | क्या डे ट्रेडिंग प्रॉफिटेबल है | FAQ

Intraday trading in Hindi : इंट्रा डे ट्रेडिंग के बारे में जानकारी और टिप्स

हेलो दोस्तों Wealthgif.com पर आपका स्वागत है। इस लेख में हम आपको Intraday trading के बारे में विस्तृत जानकारी देने वाले हैं. तो आइए शुरू करते हैं।

Intraday trading kya hai:

दोस्तों इंट्रा डे ट्रेडिंग मतलब होता है ऐसी ट्रेडिंग जो बस एक दिन की होती है। जिसमें हम शेयर्स की खरीदी और बिक्री एक ही दिन में करते हैं और हमें प्रॉफिट या लॉस भी उसी दिन हो जाता है।

एक कारोबारी दिन के भीतर शेयर मार्केट के खुलने से लेकर उसके बंद होने के पहले तक एक ही दिन में शेयर्स को खरीदना और बेचना और उससे प्रॉफिट कमाना इंट्रा डे ट्रेडिंग या डे ट्रेडिंग कहलाता है।

जो लोग इस प्रकार का ट्रेडिंग करते हैं उन्हें Day trader कहते हैं।

भारत में स्टॉक मार्केट सोमवार से शुक्रवार तक सुबह 9:15 AM से शाम 3:30 PM तक खुला रहता है। इस दौरान स्टॉक मार्केट में ट्रेडिंग किया जाता है।

intra day ट्रेडिंग में भी शेयर्स की खरीदी बिक्री सुबह 9:15 AM से लेकर दोपहर के 3:30 PM के बीच trading hour के दौरान की जाती है.

जब सुबह 9:15 AM पर शेयर मार्केट खुलती है तब डे ट्रेडर्स कम दाम में शेयर को खरीद लेते हैं और दोपहर के 3:30 बजे मार्केट बंद होने के पहले शेयर को बेच देते है. और प्रॉफिट earn करते हैं।

इंट्रा डे ट्रेडिंग कौन-कौन से प्रतिभूतियों में कर सकते हैं?

इंट्राडे ट्रेडिंग आप stocks, Futures, Options और Commodities में कर सकते हैं।

एक डे ट्रेडर का क्या लक्ष्य होता है?

एक डे ट्रेडर का लक्ष्य बाजारों में शॉर्ट टर्म price मूवमेंट से लाभ प्राप्त करना होता है।

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इंट्राडे ट्रेडिंग क्यों किया जाता है?

इंट्राडे ट्रेडिंग एक बहुत ही पॉपुलर विषय है, कई लोग जो स्टॉक मार्केट में पैसा लगाकर जल्दी से अमीर बनना चाहते हैं. उनका मुख्य उद्देश्य इंट्राडे ट्रेडिंग करके पैसा कमाना होता है.

तो आइए अब हम यह जानने की कोशिश करते हैं की

इंट्राडे ट्रेडिंग क्यों होती है, इसे क्यों किया जाता है. और आखिर यह इतना पॉपुलर क्यों है.

दोस्तों शेयर मार्केट एक्सपर्ट्स के अनुसार इसकी दो सबसे बड़ी वजहे हैं. जिसके कारण इंट्राडे ट्रेडिंग किया जाता है. पहला है मार्जिन पर ट्रेडिंग और दूसरा है न्यूज़ आधारित उतार-चढ़ाव।

1. Trading with margin:

मार्जिन पर ट्रेडिंग का मतलब होता है. कम पैसों में ज्यादा अमाउंट का ट्रेडिंग करना. शेयर बाजार के सारे ब्रोकर्स इंट्राडे ट्रेडिंग के लिए मार्जिन से देते हैं. जिससे आप अपने पैसों से कई गुना ज्यादा वैल्यू तक के शेयर्स इंट्राडे में खरीद और बेच सकते हैं.

आइए इसे एक उदाहरण से समझते हैं. मान लेते हैं आपके ट्रेडिंग अकाउंट में 25 हजार रुपए है और आप ICICI बैंक के शेयर में लॉन्ग इंट्राडे ट्रेडिंग करना चाहते हो. साथ ही मान लेते हैं कि ICICI बैंक का शेयर प्राइस अभी 1780 रुपए है और आपकी ब्रोकर से आपको ICICI बैंक के शेयर पर 5 गुना इंट्राडे मार्जिन मिल रहा है।

आपके ट्रेडिंग अकाउंट में 25 हजार रुपए है और यदि आपको ब्रोकर से इंट्राडे मार्जिन नहीं मिलता है तो 1780 रुपए प्रति शेयर के हिसाब से आप (25,000÷1780 = 14) आप ICICI के 14 शेयर खरीद सकते हो

वहीं ब्रोकर से 5 गुना मार्जिन मिलने की वजह से आप अपने 25 हजार का 5 गुना 1 लाख 25 हजार (25,000×5 = 125000 रु.) के ICICI के शेयर्स खरीद पाओगे.

125,000÷1780 = 70 शेयर्स

यानी कि आप मार्जिंस का उपयोग करके ICICI के कुल 70 शेयर खरीद सकते हो।

2. News based volatility

न्यूज़ आधारित उतार-चढ़ाव (volatility) का मतलब होता है न्यूज़ के कारण शेयर्स की कीमतों में तेजी से बदलाव होना. अक्सर जब किसी कंपनी से संबंधित कोई अच्छा या बुरा न्यूज़ बाहर आती है तो आमतौर पर इस न्यूज़ का असर कुछ समय बाद उस कंपनी के शेयर्स की कीमतों पर होता है.

और कंपनी के शेयर्स की कीमतें कुछ मिनटों में ही काफी चेंज हो जाते हैं. यदि न्यूज़ शेयर मार्केट बंद होने के बाद आई है तो इसका असर अगले दिन मार्केट खुलने के बाद होता है. खबर अच्छा है तो शेयर प्राइस Up जाती है. और खबर बुरा है तो शेयर प्राइस DOWN चली जाती है।

अधिकांश ट्रेडर्स इन दो वजहों से ही इंट्राडे ट्रेडिंग करते हैं. वे मार्जिंस का उपयोग करके शेयर्स के कीमतों में तेजी से होने वाले short term price movement का फायदा उठाकर प्रॉफिट बनाने की कोशिश करते हैं.

कुछ ट्रेडर इसमें कामयाब हो जाते हैं और कुछ का Loss हो जाता है।

इंट्राडे ट्रेडिंग कैसे होती है?

इंट्राडे ट्रेडिंग क्यों किया जाता है यह जानने के बाद अब चलिए जानते हैं कि इंट्राडे ट्रेडिंग कैसे होती है.

इंट्राडे ट्रेडिंग करने के 2 तरीके हैं. आप इन दो तरीकों से इंट्राडे ट्रेडिंग कर सकते हैं, 1) long intraday trading और 2) short intraday trading

1. Long Intraday Trading:

लॉन्ग इंट्राडे ट्रेडिंग में पहले शेयर्स को Buy किया जाता है और फिर उन शेयर्स की कीमतें बढ़ने पर उन्हें सेल करके प्रॉफिट कमाया जाता है।

किसी शेयर में लॉन्ग इंट्राडे ट्रेडिंग तब किया जाता है जब ट्रेडर को लगता है कि उस शेयर की कीमत बढ़ने वाली है. इसलिए लॉन्ग इंट्राडे ट्रेडिंग करने के लिए कंपनी के शेयर को पहले खरीदते हैं और फिर उसी दिन मार्केट बंद होने से पहले शेयर को बेचकर अपना profit या loss बुक करते हैं।

शेयर बाजार में किमतें घटती बढ़ती रहती है. इसलिए आपके शेयर्स Buy करने के बाद या तो शेयर की कीमतें घट सकती है या बढ़ सकती है। खरीदी करने के बाद शेयर की कीमतें बढ़ती है तो आपको प्रॉफिट होगा और यदि शेयार की कीमतें घटती है तो आपको नुकसान होगा।

इसे एक उदहारण से समझते हैं. मान लेते हैं आपने ICICI बैंक के शेयर्स 1780 के भाव पर खरीदे हैं और कुछ समय पश्चात उनकी कीमतें बढ़कर 1800 रुपए हो गई तो आपको एक शेयर पर 20 रुपए का प्रॉफिट हो रहा और क्योंकि आपने ICICI के टोटल 70 शेयर्स Buy किया है तो आपको 70×20 = 1,400 रुपए. का प्रॉफिट हो रहा है।

अतः ICICI बैंक के 70 शेयर्स को 1780 रुपए में खरीद कर 1800 रुपए के भाव पर बेचने पर आपको 1,400 रुपए का प्रॉफिट होगा।

वहीं अगर ICICI का शेयर प्राइस 1780 से घटकर 1775 रुपए हो गया तो आपको एक शेयर पर 5 रुपए का loss हो रहा और क्योंकि आपने टोटल 70 शेयर्स Buy किया है तो 70×5 = 350 रुपए का loss होगा.

आप इंट्राडे ट्रेडिंग कर रहे हैं इसलिए आपको मार्केट बंद होने से पहले अपने शेयर्स को बेचना होगा और अपनी पोजीशन क्लियर करनी होगी।

2. Short intraday trading:

शॉर्ट इंट्राडे ट्रेडिंग में पहले शेयर्स को बेचा जाता है और फिर उनसे इसकी कीमतें कम होने पर उन्हें बाय करके प्रॉफिट बनाया जाता है।

इसे शॉर्ट सेलिंग (short selling) के नाम से भी जाना जाता है।

किसी शेयर में शार्ट ट्रेडिंग तब किया जाता है जब ट्रेडर को लगता है कि शेयर की कीमत घटने वाली है. इसलिए शार्ट इंट्राडे ट्रेडिंग करने के लिए एक कंपनी के शेयर को पहले Sell करते हैं और फिर उसी दिन मार्केट बंद होने से पहले शेयर को Buy करके अपना profit या loss बुक करते हैं।

चलिए इसे एक उदाहरण से समझते हैं. मान लेते हैं कि आपके ट्रेडिंग अकाउंट में 10 हजार रुपए है और आप अडानी इंटरप्राइजेज लिमिटेड के शेयर्स में शॉर्ट इंट्राडे ट्रेडिंग या शॉर्ट सेलिंग करना चाहते हो.

साथ ही मान लेते हैं कि इसका शेयर प्राइस अभी 1700 रुपए है और आपको आपके ब्रोकर से अडानी इंटरप्राइजेज लिमिटेड के शेयर पर 5 गुना इंट्राडे मार्जिन मिल रहा है.

अतः ब्रोकर के 5 गुना इंट्राडे मार्जिन के साथ आप 10 हजार रुपए का 5 गुना 50 हजार रुपए। कीमत के अडानी एंटरप्राइज के शेयर को शार्ट कर पाएंगे.

50,000×1700 = 29 शेयर्स

यानी 50 हजार रुपए के साथ आप अदानी एंटरप्राइज के 29 इयर्स को शार्ट कर सकते हैं।

यहां आप इंट्राडे ट्रेडिंग कर रहे हैं इसलिए आपको अपने Sell किए हुए 29 शेयर्स को मार्केट बंद होने से पहले तक वापस Buy भी करना होगा।

शेयर बाजार में कीमतें घटती और बढ़ती रहती है अतः आपके शेयर Sell करने के बाद कीमतें घट भी सकती है और बढ़ भी सकती है।

इसे उदाहरण से समझते हैं. मान लेते हैं कि अडानी इंटरप्राइजेज का शेयर प्राइस 1700 रुपए से घटकर 1690 रुपए हो गई यानी की आपको एक शेयर पर 10 रुपए का प्रॉफिट हो रहा है और क्योंकि आपने टोटल 29 शेयर्स Sell है तो 29×10 = 290 रुपए.

अतः आप अपने 29 शेयर्स को 1695 रुपए के कीमत पर वापिस खरीद लोगे तो आपको 290 रुपए का प्रॉफिट हो जाएगा.

वहीं अगर अट्ठानी इंटरप्राइज का शेयर प्राइस बढ़कर 1710 रुपए हो गया तो आपको एक शेयर पर 10 रुपए का loss होने लगेगा और क्योंकि आपने टोटल 29 शेयर Sell किया है तो ऐसे में आपको टोटल 29×10 = 290 रुपए हो जाएगा।

अतः यदि आपने अपने 29 शेयर्स को 1710 रुपए के कीमत पर वापिस खरीद लोगे तो आपको 290 रुपए का loss हो जायेगा।

इंट्राडे ट्रेडिंग से जुड़ी महत्वपूर्ण बातें:

इंट्राडे में ट्रेडिंग के बारे में जानने के बाद चलिए अब जानते हैं इंट्राडे ट्रेडिंग से जुड़े कुछ महत्वपूर्ण बातों के बारे में, जो एक नए ट्रेडर के लिए उपयोगी साबित हो सकते हैं.

1. आपको चाहे लॉस हो या प्रॉफिट आपको हर ट्रेडिंग आर्डर पर ब्रोकरेज फीस देनी पड़ती है और यह फीस स्वतः ही आपके ट्रेडिंग अकाउंट से कट जाता है।

2. अलग-अलग ब्रोकर हर कंपनी के शेयर्स पर अलग-अलग मार्जिंस देते हैं और यह मार्जिन हमेशा चेंज होते रहते हैं।

3. ब्रोकर risky और penny स्टॉक्स पर मार्जिन नहीं देते हैं।

4. इंट्राडे ट्रेडिंग में आपको आपका ट्रेड मार्केट बंद होने से पहले तक क्लोज करना होता है. लेकिन किसी कारणवश यदि आप अपना पोजीशन क्लोज नहीं कर पाते हो या क्लोज करना भूल जाते हो तो इस केस में आपका ब्रोकर स्वयं ही मार्केट बंद होने से पहले आपका इंट्राडे आर्डर क्लोज कर देता है। आपको चाहे profit हो रहा हो या loss ब्रोकर को इन सब से कोई फर्क नहीं पड़ता.

5. और जिस टाइम पर ब्रोकर अपनी तरफ से आपके इंट्राडे ऑर्डर को क्लोज करता है उस टाइम को auto square off टाइम कहते हैं। यह टाइम अलग-अलग ब्रोकर में अलग अलग होता है। किसी में यह 3:00 PM, तो किसी में 3:20 PM होता है।

6. इंट्राडे ट्रेडिंग में रिस्क भी काफी अधिक होता है क्योंकि इसमें ट्रेडर मार्जिन का उपयोग करके ट्रेड करते हैं। थोड़े से प्राइस मूवमेंट से ट्रेडर बहुत ज्यादा प्रॉफिट या बहुत ज्यादा लॉस हो सकता है।

8. Intra day Trading एक अत्यधिक प्रतिस्पर्धी और जोखिम भरा काम है जिसके लिए बहुत भारी मात्रा में ज्ञान, कौशल और अनुशासन की आवश्यकता होती है।

9. Intra day ट्रेडिंग active ट्रेडिंग का एक रूप है जहां ट्रेडर एक ही दिन में प्रतिभूतियों को खरीदते और बेचते हैं।

ये प्रतिभूतियां- स्टॉक्स, ऑप्शंस, फ्यूचर्स, currencies आदि होती है।

Other:

10. डे ट्रेडर्स शॉर्ट टर्म प्राइस मूवमेंट की पहचान करने और उसके अनुसार ट्रेडों को एक्जीक्यूट करने के लिए विभिन्न तरह के टेक्निकल और फंडामेंटल टूल्स का उपयोग करते हैं।

11. डे ट्रेडर्स आमतौर पर अपने लाभ को बढ़ाने के लिए लिवरेज का उपयोग करते हैं, जिससे उनका रिस्क एक्सपोजर और अधिक बढ़ जाता है।

12. Day Trading के लिए, आपके पास ब्रोकरेज फर्म के साथ एक ट्रेडिंग अकाउंट होना चाहिए जो डे ट्रेडिंग की सर्विस प्रदान करता है।

13. आपके पास अपने ट्रेडिंग खर्चों और मार्जिन आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए पर्याप्त पूंजी भी होनी चाहिए।

13. डे ट्रेडर्स को Securities and Exchange Commission (SEC) and the Financial Industry Regulatory Authority (FINRA). द्वारा निर्धारित रूल्स एंड रेगुलेशंस का पालन करना चाहिए।

इंट्राडे ट्रेडिंग कैसे शुरू करें?

Starting day trading can be an exciting but challenging endeavor. Here are some steps to help you get started:

1. डे ट्रेडिंग के बारे में जानें:

इससे पहले कि आप डे ट्रेडिंग शुरू करें, खुद को बाजारों, व्यापारिक रणनीतियों और जोखिम प्रबंधन के बारे में शिक्षित करना महत्वपूर्ण है। ऑनलाइन पाठ्यक्रम, किताबें और सेमिनार जैसे कई संसाधन उपलब्ध हैं, जो आपको एक सफल डे ट्रेडर बनने के लिए आवश्यक ज्ञान और कौशल हासिल करने में मदद कर सकते हैं।

2. एक ब्रोकर चुनें:

वित्तीय बाजारों में ट्रेडिंग करने के लिए आपको एक ब्रोकर की आवश्यकता होगी। एक प्रतिष्ठित ब्रोकर चुनें जो कम कमीशन और विश्वसनीय ट्रेडिंग सॉफ्टवेयर प्रदान करता हो।

3. एक ट्रेडिंग प्लान विकसित करें:

डे ट्रेडर्स के लिए एक ट्रेडिंग प्लान का होना जरूरी होता है। इसमें आपकी ट्रेडिंग रणनीति, रिस्क मैनेजमेंट प्लान और ट्रेडिंग गोल शामिल होने चाहिए।

4. ट्रेडिंग का अभ्यास करें:

इससे पहले कि आप वास्तविक धन के साथ ट्रेडिंग शुरू करें, डेमो अकाउंट में ट्रेडिंग का अभ्यास करना एक अच्छा विचार है। यह आपको बाजारों के बारे में जानने में मदद करेगा और अपनी खुद की पूंजी को जोखिम में डाले बिना आपकी ट्रेडिंग रणनीति को रिफाइन करने में मदद करेगा।

5. ट्रेडिंग शुरू करें:

एक बार जब आप अपनी ट्रेडिंग रणनीति के साथ सहज महसूस करने लगें, तो वास्तविक पैसे के साथ ट्रेडिंग शुरू करें। एक छोटी राशि से शुरू करें और जैसे-जैसे आप अनुभव प्राप्त करते जाएं धीरे-धीरे अपनी position size बढ़ाएं।

5. अपने ट्रेडों की निगरानी करें:

अपने ट्रेडों पर नज़र रखें और नियमित रूप से अपने प्रदर्शन का विश्लेषण करें। इससे आपको उन क्षेत्रों की पहचान करने में मदद मिलेगी जहां आप अपनी ट्रेडिंग रणनीति में सुधार और उन्हें रिफाइन कर सकते हैं।

याद रखें : डे ट्रेडिंग एक जोखिम भरा और अत्यधिक प्रतिस्पर्धी गतिविधि है। इसके लिए अनुशासन, धैर्य और कड़ी मेहनत की जरूरत होती है। हालांकि, सही शिक्षा, उपकरण और मानसिकता के साथ, एक सफल डे ट्रेडर बनना संभव है।

Key rules for success in intraday trading:

Mr. Anant ladha के अनुसार अगर आप इंट्राडे ट्रेडिंग करते हो तो नीचे बताए इन पॉइंट्स को हमेशा ध्यान में रखनी चाहिए:

1. आप जिस स्टॉक में इंट्राडे ट्रेडिंग कर रहे हैं उसका एवरेज डेली वॉल्यूम मिनिमम एक करोड़ से ऊपर का होना चाहिए।

2. अगर पहली दो ट्रेड में स्टॉपलॉस सेट हो जाए तो स्क्रीन को बंद कर दीजिए आपको रिवेंज ट्रेडिंग नहीं करनी है।

3. अगर पहली ट्रेड में इतना प्रॉफिट हो जाए जितना आपको usually एक सप्ताह में होता है तो सौ प्रतिशत स्क्रीन को बंद कर दीजिए क्योंकि फिर इसके बाद आप ओवरकॉन्फिडेंस में ट्रेडिंग करने लग जाएंगे।

4. क्योंकि आपका स्टॉप लॉस हिट हो रहा है इसलिए कभी भी गिरते हुए स्टॉक में unnecessary average down मत कीजिए।

Intraday trading tips in Hindi:

सफल डे ट्रेडिंग के लिए हमने यहां कुछ सुझाव दिए हैं, जो आपके लिए काफी हेल्पफुल हो सकते हैं:

1. ट्रेडिंग प्लान पर टिके रहें:

एक ट्रेडिंग प्लान डेवलप करें और उस पर टिके रहें। ट्रेडिंग प्लान में आपकी एंट्री और एग्जिट स्ट्रेटजी, रिस्क मैनेजमेंट प्लान और ट्रेडिंग गोल्स को शामिल करना चाहिए।

यह आपको अनुशासित रहने और इमोशनल ट्रेडिंग निर्णयों से बचने में मदद करेगा।

2. Manage your risk:

डे ट्रेडिंग में जोखिम प्रबंधन करना बहुत महत्वपूर्ण होता है। जितना आप खो सकते हैं उससे अधिक जोखिम कभी नहीं लेना चाहिए। नुकसान को सीमित करने के लिए स्टॉप-लॉस ऑर्डर सेट करें और अपने जोखिम को नियंत्रित करने के लिए position sizing का उपयोग करें।

3. Focus on a few markets:

हर मार्केट में ट्रेडिंग करने की कोशिश करने के बजाय, कुछ ऐसे मार्केट्स पर ध्यान केंद्रित करें जिनसे आप परिचित हैं और अच्छी तरह समझते हैं।

इससे आपको उन बाजारों में विशेषज्ञ बनने में मदद मिलेगी और आपकी सफलता की संभावना बढ़ जाएगी।

4. टेक्निकल एनालिसिस का उपयोग करें:

टेक्निकल एनालिसिस, प्रतिभूतियों को उनकी कीमत और volume data के आधार पर एनालिसिस करने की एक विधि है।

टेक्निकल एनालिसिस आपको ट्रेंड्स, support और resistance levels तथा potential entry and exit points की पहचान करने में मदद कर सकता है। जिनका उपयोग ट्रेडिंग निर्णय लेने के लिए किया जा सकता है।

5. News and market developments के साथ अप-टू-डेट रहें:

ऐसे समाचारो और घटनाओं के बारे में सूचना प्राप्त करते रहें जो बाजारों को प्रभावित कर सकते हैं। इससे आपको अपनी ट्रेडिंग रणनीति को परिस्थिति के अनुसार एडजस्ट करने और अप्रत्याशित नुकसान से बचने में मदद मिलेगी।

6. Practice discipline:

डे ट्रेडिंग में अनुशासन और धैर्य की आवश्यकता होती है। अपनी ट्रेडिंग योजना पर टिके रहें, भावनात्मक ट्रेडिंग निर्णयों से बचें और loss का पीछा न करें।

7. ट्रेडिंग जर्नल रखें:

Keep a journal of your trades and analyze your performance regularly. इससे आपको उन areas की पहचान करने में मदद मिलेगी जहां आप अपनी ट्रेडिंग रणनीति ko improve और refine कर सकते हैं।

8. अपनी भावनाओं पर काबू रखें:

भावनाएँ आपके निर्णय को धूमिल कर सकती हैं और आप तर्कहीन निर्णय ले सकते हैं। ट्रेडिंग करते समय आपको शांत और केंद्रित रहना चाहिए और भय, लालच या आशा के आधार पर आवेगी निर्णय लेने से बचना चाहिए।

9. एक डेमो अकाउंट के साथ अभ्यास करें:

एक डेमो अकाउंट एक सिम्युलेटेड ट्रेडिंग वातावरण है जो आपको वास्तविक धन को जोखिम में डाले बिना ट्रेडिंग का अभ्यास करने की अनुमति देता है।

यह आपकी ट्रेडिंग रणनीति का परीक्षण करने और वास्तविक धन के साथ व्यापार करने से पहले अनुभव प्राप्त करने का एक शानदार तरीका हो सकता है।

10. अपनी गलतियों से सीखें

Mistakes are inevitable in day trading.

आपको अपनी गलतियों से सीखना है और उस ज्ञान का उपयोग अपनी ट्रेडिंग रणनीति को बेहतर बनाने के लिए करना है।

इंट्राडे चार्ट क्या है?

इंट्राडे चार्ट एक प्रकार का चार्ट है जिसका उपयोग वित्तीय बाजारों में किया जाता है जो एक ही कारोबारी दिन में price movement और other market data को प्रदर्शित करता है।

इंट्राडे चार्ट आमतौर पर डे ट्रेडर्स और अन्य शॉर्ट-टर्म ट्रेडर्स द्वारा उपयोग किए जाते हैं, जो shorter timeframe में price मूवमेंट को ट्रैक करने में रुचि रखते हैं, आमतौर पर कुछ मिनटों से लेकर कई घंटों तक के टाइम फ्रेम में।

Trading chart

इंट्राडे चार्ट लंबी अवधि के चार्ट से भिन्न होते हैं, जैसे कि दैनिक या साप्ताहिक चार्ट से, जो लंबी अवधि में कीमतों में उतार-चढ़ाव को प्रदर्शित करते हैं, आमतौर पर ये चार्ट कई दिनों से लेकर कई वर्षों तक के एक लंबे टाइम फ्रेम में price मूवमेंट को दिखाते हैं।

ट्रेडर की प्राथमिकताओं और ट्रेडिंग रणनीति के आधार पर, 1 मिनट, 5 मिनट, या 15 मिनट के अंतराल जैसे विभिन्न समय सीमाओं को प्रदर्शित करने के लिए इंट्राडे चार्ट को कस्टमाइज्ड किया जा सकता है।

इंट्राडे चार्ट में विभिन्न टेक्निकल इंडिकेटर्स और overlays शामिल हो सकते हैं, जैसे मूविंग एवरेज, बोलिंगर बैंड और वॉल्यूम बार, जिससे ट्रेडर्स को कीमतों की गतिविधियों का विश्लेषण करने और संभावित ट्रेडिंग अवसरों की पहचान करने में मदद मिलती है।

कुल मिलाकर, इंट्राडे चार्ट उन ट्रेडर्स के लिए एक मूल्यवान उपकरण हैं जो short term price movement की निगरानी करने और उन movements के आधार पर संभावित trading अवसरों की पहचान करने में रुचि रखते हैं।

डे ट्रेडिंग के लिए ब्रोकर कैसे चुनें?

डे ट्रेडिंग के लिए ब्रोकर चुनना एक महत्वपूर्ण निर्णय है जो एक ट्रेडर के रूप में आपकी सफलता को प्रभावित कर सकता है। डे ट्रेडिंग के लिए ब्रोकर चुनते समय निम्न चीजों को ध्यान में रखना चाहिए और ब्रोकर का चुनाव करना चाहिए:

1. ट्रेडिंग प्लेटफॉर्म:

एक विश्वसनीय और यूजर फ्रेंडली ट्रेडिंग प्लेटफॉर्म वाला ब्रोकर चुनें। real-time quotes, customizable charts और fast order execution जैसी सुविधाओं को ध्यान में रखते हुए ब्रोकर चुनें।

2. कमीशन और फीस:

डे ट्रेडर्स आम तौर पर दिन भर में कई ट्रेड करते हैं, इसलिए कम कमीशन और फीस वाले ब्रोकर को चुनना जरूरी है। ऐसे ब्रोकर्स की तलाश करें जो competitive pricing ऑफर करते हैं और किसी भी प्रकार का हिडेन चार्जेस नही लगाते हैं।

3. मार्जिन आवश्यकताएं:

डे ट्रेडिंग में अक्सर मार्जिन का उपयोग करना शामिल होता है, जो ब्रोकर से उधार लिया गया पैसा होता है। यह सुनिश्चित करने के लिए ब्रोकर की मार्जिन आवश्यकताओं की जांच करें कि वे उचित हैं और आपकी रिस्क मैनेजमेंट स्ट्रेटजी के अनुकूल हैं।

4. सिक्योरिटी एंड रेगुलेशन:

एक ऐसा ब्रोकर चुनें जो एक प्रतिष्ठित फाइनेंशियल अथॉरिटी द्वारा रेगुलेटेड हो और encryption and two-factor authentication जैसे सुरक्षा उपायों की पेशकश करता हो।

5. ग्राहक सहायता:

ऐसा ब्रोकर चुनें जो विश्वसनीय और रेस्पॉन्सिव कस्टमर सहायता प्रदान करता हो। ऐसे दलालों की तलाश करें जो फोन, ईमेल और लाइव चैट जैसे कई तरह के सपोर्ट ऑफर करते हैं।

6. एजुकेशनल रिसोर्सेज:

ऐसे ब्रोकरों की तलाश करें जो आपके स्किल और नॉलेज को बेहतर बनाने में आपकी मदद करने के लिए वेबिनार, ट्यूटोरियल और ट्रेडिंग टूल्स जैसे एजुकेशनल रिसोर्सेज की पेशकश करते हैं।

7. प्रतिष्ठा:

अपना खुद का रिसर्च करें और इंडस्ट्री के अच्छी प्रतिष्ठा वाले ब्रोकर का चयन करें। रिव्यूज को पढ़ें और यह सुनिश्चित करने के लिए उनके रेगुलेटरी हिस्ट्री की जांच करें कि उनके पास अपने ग्राहकों के साथ अच्छा व्यवहार करने का ट्रैक रिकॉर्ड है या नहीं।

कुल मिलाकर, डे ट्रेडिंग के लिए ब्रोकर चुनने के लिए कई कारकों पर सावधानीपूर्वक विचार करने की आवश्यकता होती है। रिसर्च के लिए समय निकालें और विभिन्न ब्रोकरों की आपस में तुलना करें ताकि वह आपकी needs और ट्रेडिंग स्टाइल के लिए सबसे उपयुक्त हों।

डे ट्रेडिंग में शामिल जोखिम:

डे ट्रेडिंग एक जोखिम भरी गतिविधि है जिससे Major financial loss हो सकता है। डे ट्रेडिंग में शामिल कुछ जोखिम निम्नलिखित हैं:

1. Volatility:

डे ट्रेडिंग में सिक्योरिटीज की खरीदी बिक्री किया जाता है जो वोलेटिलिटी के अधीन हैं। कीमतें तेजी से और नाटकीय रूप से बदल सकती हैं, जिसके परिणामस्वरूप भारी नुकसान हो सकता है।

2. Leverage:

डे ट्रेडर्स अक्सर अपने प्रॉफिट को बढ़ाने के लिए लीवरेज का उपयोग करते हैं। हालांकि, लीवरेज नुकसान को भी बढ़ा सकता है, जिसके परिणामस्वरूप मार्जिन कॉल या पोजिशन का force liquidation हो सकता है।

3. अनुशासन की कमी:

डे ट्रेडिंग में discipline और self-control की आवश्यकता होती है। कई ट्रेडर्स इसलिए विफल हो जाते हैं क्योंकि उनमें अनुशासन की कमी होती है और वे भय, लालच या आशा के आधार पर भावनात्मक निर्णय लेते हैं।

4. Fees and expenses:

डे ट्रेडिंग expensive हो सकता है। ट्रेडर्स को कमीशन, स्प्रेड और अन्य शुल्क का भुगतान करना होता है, जो उनके प्रॉफिट को कम कर सकते हैं।

5. Regulatory risks:

डे ट्रेडर्स को SEC और FINRA द्वारा निर्धारित नियमों और विनियमों का पालन करना चाहिए। ऐसा करने में विफलता के परिणामस्वरूप जुर्माना, दंड और कानूनी कार्रवाई भी हो सकती है।

क्या डे ट्रेडिंग प्रॉफिटेबल है?

डे ट्रेडिंग प्रॉफिटेबल हो सकती है, लेकिन यह समझना महत्वपूर्ण है कि यह एक जोखिम भरा और अत्यधिक प्रतिस्पर्धी गतिविधि है।

कई डे ट्रेडर पैसे खो देते हैं, और ट्रेडर्स का केवल एक छोटा प्रतिशत ही लगातार प्रॉफिट कमाते आ रहे हैं।

डे ट्रेडिंग की प्रॉफिटेबिलिटी ट्रेडर्स के कौशल, अनुभव, जोखिम प्रबंधन रणनीतियों और बाजार स्थितियों सहित कई कारकों पर निर्भर करती है।

सक्सेसफुल डे ट्रेडर आमतौर पर अनुशासित होते हैं, उनकी एक अच्छी तरह से विकसित ट्रेडिंग रणनीति होती है, और वे अपनी भावनाओं को मैनेज करने में सक्षम होते हैं।

यह भी ध्यान में रखना महत्वपूर्ण है कि डे ट्रेडिंग जल्दी-अमीर-बनने का स्कीम नहीं है। प्रॉफिट कमाने के लिए इसमें काफी समय, प्रयास और समर्पण की आवश्यकता होती है।

डे ट्रेडर्स को अपने स्किल को डेवलप करते रहना चाहिए और मार्केट डेवलपमेंट के साथ हमेशा अप टू डेट रहना चाहिए।

इसके अलावा, दिन के व्यापारियों को दिन के कारोबार से जुड़ी लागतों के बारे में भी पता होना चाहिए, जैसे कि कमीशन, शुल्क और मार्जिन ब्याज।

ये लागतें मुनाफे को खा सकती हैं और ओवरऑल प्रॉफिटेबिलिटी को कम कर सकती है।

कुल मिलाकर, कुछ ट्रेडर्स के लिए डे ट्रेडिंग लाभदायक हो सकता है, और कुछ के लिए नहीं। आप पैसा कमाओगे या नहीं ये कई चीजों पर डिपेंड करता है।

सक्सेसफुल इंट्राडे ट्रेडर्स के नाम:

यहां नीचे हमने कुछ सक्सेसफुल ट्रेडर्स का नाम बताया है जिन्होंने ट्रेडिंग में काफी ज्यादा सफलता अर्जित की है. इसलिए इन्हें ट्रेडिंग जीनियस भी कहा जाता है.

• Jim Simons

• Paul tudo Jones

• George soros

• Ray dalio

FAQs

प्रश्न: बेस्ट डे ट्रेडिंग टिप्स

उतर: 1. एक ट्रेडिंग प्लान डेवलप करें और उस पर टिके रहें 2. नुकसान को सीमित करने के लिए स्टॉप-लॉस ऑर्डर सेट करें 3. टेक्निकल एनालिसिस का उपयोग करें 4. अपनी भावनाओं पर काबू रखें

प्रश्न: इंट्राडे ट्रेडिंग में कितना प्रॉफिट होता है?

उत्तर: आपको इंट्राडे ट्रेडिंग से कितना प्रॉफिट होगा यह आपके स्किल, नॉलेज, रिसर्च, टाइमिंग और कितना पैसा आपने लगाया है इन फैक्टर्स पर निर्भर करता है।

प्रश्न: इंट्राडे सिक्योरिटीज क्या है?

उत्तर: इंट्राडे सिक्योरिटीज मतलब ऐसी सिक्योरिटीज जिनका रेगुलर trading hour के दौरान खरीदी-बिक्री किया जाता है, इंट्राडे सिक्योरिटीज कहलाती है।

प्रश्न: इंट्राडे के लिए कौन सा समय सबसे अच्छा है?

उत्तर: शेयर मार्केट एक्सपर्ट के अनुसार इंट्राडे ट्रेडिंग के लिए सबसे अच्छा समय सुबह 10.15 बजे से दोपहर 2.30 बजे के बीच है।

प्रश्न: इंट्राडे के लिए कौन सी टाइम फ्रेम बेस्ट है?

उत्तर: इंट्राडे ट्रेडिंग में आपको बिग टाइम फ्रेम में एनालिसिस करनी चाहिए और छोटी टाइम फ्रेम में आपको ट्रेड लेना चाहिए।


नीचे पिन की गई वीडियो में Intraday trading in Hindi के बारे में काफी अच्छे से समझाया गया है। इसपर क्लिक करके इसे जरूर देखें 👇

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Final words

Intra day trading एक high-risk, high-reward एक्टिविटी है जिसके लिए महत्वपूर्ण मात्रा में ज्ञान, कौशल और अनुशासन की आवश्यकता होती है। Intra day trading सभी लोगों के लिए suitable नहीं है, और केवल वे ही इसमें सफल हो सकते हैं जो जोखिम को स्वीकार करने और प्रयास करने को तैयार हैं।

PDF के लिए यहां 👉 क्लिक करें

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