Share Market ke Success Mantra PDF | (2.2MB) शेयर मार्केट के सक्सेस मंत्र हिंदी PDF

टाइटल: Share Market ke Success Mantra pdf, लेखक: सौरभ मुखर्जी, भाषा: हिंदी पृष्ट संख्या: 168, फाइल साइज: 2.3 MB, फाइल प्रकार: PDF, सपोर्टेड डिवाइस: मोबाइल, डेस्कटॉप, टैबलेट, स्रोत: 44Books.com

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PDF NameShare Market ke Success Mantra pdf
लेखकसौरभ मुखर्जी
भाषाहिंदी
पृष्ट संख्या168
PDF Size2.3 MB
फाइल प्रकारpdf Format
सपोर्टेड डिवाइसमोबाइल, डेस्कटॉप, टैबलेट
स्रोत44Books.com

Share Market ke Success Mantra Book PDF

यह सौरभ मुखर्जी द्वारा लिखी गई एक किताब है।
Share Market ke Success Mantra PDF | (2.2MB) शेयर मार्केट के सक्सेस मंत्र हिंदी PDF

More about Share Market ke Success Mantra PDF

शेयर मार्केट के सक्सेस मंत्र एक सफल निवेशक, लेखक और भारतीय शेयर बाजार के कमेंटेटर सौरभ मुखर्जी द्वारा लिखी गई एक किताब है।

यह पुस्तक हिंदी भाषा में लिखी गई है और भारतीय शेयर बाजार में निवेश की बारीकियों को समझने की इच्छा रखने वाले खुदरा निवेशकों के बीच इसने काफी लोकप्रियता हासिल की है।

Share Market ke Success Mantra pdf
Share Market ke Success Mantra

शेयर मार्केट के सक्सेस मंत्रा उन निवेशकों के लिए एक उत्कृष्ट रिसोर्स है जो शेयर बाजार को समझना चाहते हैं और इसमें सफलतापूर्वक निवेश करना सीखना चाहते हैं।

पुस्तक पीडीएफ प्रारूप में उपलब्ध है और इसे हमारी वेबसाइट से आसानी से डाउनलोड किया जा सकता है

Share Market ke Success Matra pdf में बताए गए सिद्धांतों का पालन करने वाले निवेशक शेयर बाजार में डिफिनिटली दीर्घकालिक धन सृजन के पुरुस्कार से सम्मानित होंगे।

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Share Market ke Success Mantra Book के कुछ अंश:

यह किताब शोध की गहराइयों पर आधारित है, जिसमें कठोरतम विश्लेषण और फॉरेंसिक अकाउंटिंग तकनीक शामिल की गई हैं, जो कि एम्बिट में हर कारोबार का मार्गदर्शक सिद्धांत बन चुकी है। सौरभ उन चीज़ों पर विशेष जोर देते हैं कि कंपनियों के निदर्शन में कितनी आसानी से चमकती गलतियों या कमियों को नजरअंदाज कर दिया जाता है और किस तरह इनको आसानी से पकड़ा जा सकता है और वह भी आधारभूत नंबर क्रंचिंग टूल के बल पर।

उन्होंने और भी गहराई में जाकर चतुराईपूर्ण तकनीकों की श्रृंखला तैयार की है, जिससे गंभीर अकाउंटिंग मामलों या कॉर्पोरेट गवर्नेंस मामलों का खुलासा किया जा सकता है। इन मामलों को कंपनियाँ छिपाने का प्रयास करती हैं। जबकि आधुनिक रिसर्च तकनीकों की तकनीकी जानकारी होना जरूरी है, फिर भी शेयर बाजार में सफलता के लिए सिर्फ यही एकमात्र स्थिति काफी नहीं है।

इस जानकारी को कार्य की नैतिक मजबूती, चरित्र की ताकत, विनम्रता और सबसे महत्वपूर्ण, दूसरों से अलग सोचने की क्षमता के संयोजन की भी जरूरत होती है।

इस आखिरी पहलू पर विशेष फोकस करते हुए, किताब इस बात पर जोर देती है कि किस तरह चारित्रिक ताकत गहराई के साथ मिलकर एक ऐसा आधार तैयार करती है, जिससे अंतर पैदा करने वाली सोच तैयार होती है और जो बदले में शानदार दीर्घकालीन निवेश से रिटर्न दिलाने में मददगार साबित होती है।

विडंबना ही है कि जो लोग चारित्रिक ताकत के इस संगम से लैस होते हैं, वे शायद ही पैसे या लालच से वशीभूत होते हैं; उनका एकमात्र उद्देश्य यह होता है कि वे शेयर बाजार से इतर खुद का ज्यादा-से-ज्यादा विस्तार करें और इसका नतीजा यह होता है कि वे बिना जुनून के निवेश करते हैं और सफलता हासिल करते जाते हैं।

‘कोलाहल के गुरु’ भी इसलिए, ऐसी ही एक विलक्षण सोच पर प्रकाश डालती है, जो कि उन वर्ग के निवेशकों की एक खास मनःस्थिति पर फोकस करती है। यह पुस्तक उन लोगों की गुणवत्ता बताती है कि किस तरह उन्होंने लगातार बेहतरीन प्रदर्शन किया है, भले ही भारतीय शेयर बाजार की स्थितियाँ जैसी भी रही हों।

मैं इस पुस्तक को लेकर न केवल निवेशकों को, बल्कि हर किसी को पढ़ने की सलाह दूँगा, जो इस मूर्ख बाजार वाली अर्थव्यवस्था में सफल होना चाहता है।

भारत धीरे-धीरे उस दिशा में अग्रसर हो रहा है। धीरज, विनम्रता, साहस और तार्किक सोच, दिखने में पुरातन लगने वाले मूल्यों का शेयर बाजार के अंदर और बाहर अब भी सम्मान है और हम सब अब भी निवेश गुरु से प्रेरणा ले सकते हैं, जिन्होंने पिछले 20 सालों में अपनी उन ताकतों का प्रदर्शन किया है।

मैं उम्मीद करता हूँ कि ‘कोलाहल के गुरु’ से आप जितनी अधिक-से-अधिक प्रेरणा ग्रहण करेंगे, उतना ही आनंद भी पाएँगे जैसा कि मुझे प्राप्त हुआ।

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