ETF क्या है समझाइए? | Meaning, Types, Benefits in hindi

ETF क्या है | कैसे काम करता है | ETF के प्रकार | इसमें निवेश कैसे करें | निवेश के लाभ | Drawbacks of investing in ETFs | बेस्ट ईटीएफ ट्रेडिंग रणनीतियां | FAQ

ETF क्या है समझाइए? | Meaning, Types, Benefits in hindi

Exchange-traded funds यानी ETFs ने पिछले कुछ सालों में भारत में निवेशकों के बीच काफी ज्यादा लोकप्रियता हासिल की है. Mirae Asset के अनुसार ईटीएफ का मार्केट साइज पिछले पांच साल में 5 गुना हो चुका है और 2026 तक भारत में ETFs का मार्केट साइज 10.20 बिलियन डॉलर तक पहुंचने का अनुमान लगाया जा रहा है।

ऐसी क्या खास बातें हैं ईटीएफ के अंदर जो इसे इतना ज्यादा अट्रैक्टिव इन्वेस्टमेंट ऑप्शन बना रही है। इन्हीं सब बातों के बारे में आज हम इस लेख में चर्चा करने करने वाले हैं. आज हम जानेंगे की ETF क्या होता है? यह कैसे काम करता है? ETFs कितने प्रकार के होते हैं, इसमें निवेश कैसे कैसे किया जाता है तथा और भी कई सारी चीजों के बारे में. तो आइए शुरू करते हैं

नमस्कार दोस्तों, मैं आपका wealthgif.com पर एक बार फिर से स्वागत करता हूं।

ETF kya hai?

ETF का पूरा नाम है Exchange Traded fund यानी की ऐसा फंड जो स्टॉक एक्सचेंज पर खरीदा और बेचा जाता है।

ETF एक प्रकार का इन्वेस्टमेंट फंड हैं जिसमें पहले इन्वेस्टर्स के पास से पैसों को इकट्ठा किया जाता है. फिर उसके बाद उन पैसों को इक्विटी, बॉन्ड और कमोडिटीज (जैसे- सोना, चांदी, ऑयल आदि) में इन्वेस्ट कर दिया जाता है।

बात करें इक्विटी ईटीएफ की तो, इन्वेस्टर्स के पास से पैसा इकट्ठा करने के बाद, जिस भी इंडेक्स को वो फॉलो कर रहा है. उदाहरण के लिए अगर वो निफ्टी इंडेक्स को फॉलो कर रहा है तो निफ्टी इंडेक्स में मौजूद देश के टॉप 50 कंपनियों में वो पैसा कंपनियों के वेटेज के हिसाब से इन्वेस्ट कर दिया जाएगा और 50 कंपनियों के स्टॉक्स खरीद लिया जाता है।

इक्विटी में इन्वेस्ट करने वाले ETF को आमतौर पर किसी विशेष मार्केट इंडेक्स जैसे निफ्टी 50 या BSE सेंसेक्स के प्रदर्शन को ट्रैक/फॉलो करने के लिए डिज़ाइन किया गया है। इसलिए 90% ETF FUND किसी न किसी इंडेक्स पर ही अपना पैसा इन्वेस्ट करते हैं।

यह म्यूचुअल फंड का एक अल्टरनेट/विकल्प है। लेकिन इन दोनो में बेसिक डिफरेंस यह है की, म्यूचुअल फंड को किसी म्यूचुअल फंड बेचने वाली कंपनी से खरीदा जाता है जबकि ईटीएफ को स्टॉक एक्सचेंज से खरीदा और बेचा जाता है।

ईटीएफ कैसे काम करता है?

ETF क्या होता है यह जानने के बाद आइए अब हम जानते हैं कि एक्सचेंज ट्रेडेड फंड (ईटीएफ) काम कैसे करता है? how ETFs work?

किसी म्यूच्यूअल फंड में या इंडेक्स फंड में, इन्वेस्टर्स के पास से पैसा इकट्ठा करने के बाद उस पैसे को इन्वेस्ट कर दिया जाता है. और उसके पश्चात जब नए इन्वेस्टर्स फंड के साथ जुड़ते हैं और फंड में पैसा डालते हैं. तो इससे फंड के पैसों में बढ़ोतरी हो सकता है, फंड का साइज बढ़ सकता है.

उस फंड का AUM (Asset under management) increase हो सकता है। अर्थात आज 2 हजार करोड़ रुपए का जो म्यूचुअल फंड या इंडेक्स फंड लॉन्च हुआ है वो कुछ समय बाद बढ़कर 3 हजार करोड़ रुपए या 5 हजार करोड़ रुपए का भी हो सकता है.

लेकिन एक्सचेंज ट्रेडेड फंड (ETF) बिलकुल अलग तरीके से काम करता है। Exchange traded fund किसी कंपनी के शेयर्स की तरह काम करता है।

वो कैसे? आइए जानते हैं…

जब किसी कंपनी को पैसा चाहिए होता है. तो कंपनी बैंक से लोन लेती है या स्टॉक मार्केट से पैसा इकट्ठा करती है।

उसके पास मुख्यतः ये दो रास्ते होते हैं।

यदि कंपनी स्टॉक मार्केट से पैसा इकट्ठा करने का विकल्प चुनती है तो अपना एक IPO लेकर आती है जिसमें निवेशक पैसा निवेश करते हैं और इससे कंपनी के पास पैसा इकट्ठा हो जाता है।

मान लेते हैं कंपनी ने IPO के द्वारा एक हजार करोड़ इकट्ठा किया तो ये हजार करोड़ एक ही बार उसके पास आ रहे हैं।

बिलकुल इसी तरह से Exchange Traded Fund भी काम करता है।

जब भी कोई फंड हाउस (ईटीएफ जारीकर्ता) New Fund Offer (NFO) लाता है तो सिर्फ तभी ETF fund के पास पैसा आता है।

(NFO, IPO के जैसे होता है, इसमें निवेशकों से फंड इकट्ठा किया जाता है)

मान लेते हैं. किसी ETF ने New Fund Offer (NFO) के द्वारा इन्वेस्टर्स से 4 सौ करोड़ रुपए इकट्ठा किया तो ETF का AUM (Asset under management) 4 सौ करोड़ रुपए ही रहेगा। म्यूचुअल फंड की भांति फंड का साइज नही बढ़ेगा।

NFO के दौरान जिन इन्वेस्टर्स ने पैसा इन्वेस्ट किया है उन्हे ईटीएफ फंड के शेयर्स/यूनिट्स बांटे जाते हैं। जैसे किसी कंपनी के शेयर होते हैं ठीक उसी तरह से ETF के भी शेयर्स होते हैं। ये शेयर्स इन्वेस्टर्स को बांट जाते हैं।

मान लेते हैं की, ईटीएफ ने जो 4 सौ करोड़ रुपए इकट्ठा किया है. वो 1 हजार इन्वेस्टर्स से किया है और सभी ने इसमें बराबर अमाउंट में पैसा डाला है. तो ETF के जितने भी शेयर्स होंगे वो उन हजार लोगों के बीच बराबर मात्रा में बांट दिए जायेंगे.

इसके बाद में ETF के इन्ही शेयर्स/यूनिट्स को शेयर बाजार में खरीदा और बेचा जाता है. बिलकुल किसी कंपनी के शेयर्स की तरह।

अत: ETF एक ऐसा फंड है जिसकी यूनिट/शेयर को स्टॉक एक्सचेंज में किसी कंपनी के स्टॉक्स की तरह खरीदा और बेचा जाता है।

ईटीएफ यूनिट का मूल्य उसमे शामिल एसेट्स के संयुक्त मूल्य से निर्धारित होता है।

आशा करता हूं अब आप समझ गए होंगे की ETF कैसे WORK करता है. चलिए अब आगे बढ़ते हैं और ईटीएफ के types के बारे में जानते हैं.

ईटीएफ के प्रकार

निवेशकों के लिए कई अलग-अलग प्रकार के ईटीएफ उपलब्ध हैं, जिनमें से प्रत्येक का अपना निवेश उद्देश्य और जोखिम प्रोफ़ाइल है।

लेकिन भारत में मुख्य रूप से तीन ही प्रकार के ईटीएफ सबसे ज्यादा चलते हैं, 1. Equity ETFs 2. Debt ETFs 3. Commodity ETFs

1. Equity ETFs:

जैसा कि इसके नाम से ही आपको पता चल रहा है, ये ईटीएफ इक्विटी यानी स्टॉक्स में निवेश करता है। और जनरली किसी स्पेसिफ इंडेक्स को फॉलो करता है।

ज्यादातर इक्विटी ETFs 90% मामलों में किसी न किसी इंडेक्स को फॉलो करते हैं। उदाहरण के लिए – nifty 50 इंडेक्स ईटीएफ फंड और सेंसेक्स का कोई ईटीएफ.

इंडेक्स को फॉलो करने वाले ETF के अलावा Sectoral इक्विटी ETFs भी होते हैं जिसमे किसी एक खास सेक्टर के कंपनियों के शेयर्स पर इन्वेस्ट किया जाता है.

उदाहरण के लिए, कोई इक्विटी ETF हेल्थकेयर सेक्टर पर आधारित हो सकता या आईटी सेक्टर पर आधारित हो सकता है अथवा बैंकिंग या टेक्नोलॉजी सेक्टर पर आधारित सकता है।

2. Debt ETFs:

दूसरे नंबर पर आता है डेट ETFs. यदि कोई ईटीएफ बॉन्ड्स में निवेश करता है तो उसे डेट ईटीएफ कहा जाता है। ये बॉन्ड सरकारी और कॉर्पोरेट दोनो तरह के होते हैं।

अब आपमें से कई लोग ये सोच रहे होंगे की क्यों न हम सीधे बॉन्ड में इन्वेस्ट कर दें। डेट ईटीएफ में क्यों इन्वेस्ट करें!

तो आपके इस सवाल का जवाब है, debt ETF में लिक्विडिटी बहुत अच्छी मिलती है। आप इसे कभी भी खरीद और बेच सकते हो, क्योंकि यह एक्सचेंज पर ट्रेड हो रहा है.

वहीं बहुत से बॉन्ड्स एक्सचेंज पर ट्रेड नहीं होते हैं और यदि ट्रेड हो भी रहे हैं तो उनमें लिक्विडिटी बहुत कम होतो है। इसलिए debt ईटीएफ का चुनाव फायदेमंद होता है।

3. Commodity ETFs:

तीसरा होता है कमोडिटी ईटीएफ. ये ETF भौतिक वस्तुओं, जैसे सोना, चांदी या तेल में निवेश करता है।

Commodity ETFs में गोल्ड ईटीएफ भारत में सबसे ज्यादा पॉपलर हैं। भारत में गोल्ड ईटीएफ की शुरुआत 2007 में हुई थी।

कमोडिटी ईटीएफ का उपयोग अक्सर मुद्रास्फीति के खिलाफ हेज (hedge) के रूप में या किसी विशिष्ट कमोडिटी बाजार में एक्सपोजर प्रदान करने के लिए किया जाता है।

Other important ETFs:

4. Currency ETFs:

ये ईटीएफ विदेशी मुद्राओं में निवेश करते हैं और निवेशकों को करेंसी मार्केट के संपर्क में लाते हैं। करेंसी ईटीएफ का इस्तेमाल मुद्रा जोखिम के खिलाफ बचाव या मुद्रा बाजारों की दिशा पर अनुमान लगाने के लिए किया जाता है।

5. Alternative ETFs:

ये ईटीएफ गैर-पारंपरिक संपत्ति वर्गों (non-traditional asset classes) में निवेश करते हैं, जैसे रियल एस्टेट, इंफ्रास्ट्रक्चर या निजी इक्विटी।

वैकल्पिक ईटीएफ का उपयोग अक्सर पोर्टफोलियो में विविधता लाने और और ऐसे एसेट्स जो व्यक्तिगत निवेशकों के लिए आसानी से सुलभ नहीं होते हैं। उनमें सेक्सपोजर प्रदान करने के लिए किया जाता है

ईटीएफ में निवेश के निम्न लाभ हैं

ईटीएफ निवेशकों को कई तरह के लाभ प्रदान करता है, जिनमें निम्न लाभ शामिल हैं:

1. डायवर्सिफिकेशन

ईटीएफ निवेशकों को सिक्योरिटीज का एक डाइवर्सिफाइड पोर्टफोलियो ऑफर करता है जिससे individual शेयरों में निवेश करने का जोखिम कम हो जाता है।

2. कम शुल्क

ETF एक पैसिव फंड है इसे एक्टीवली मैनेज नही किया जाता है। म्यूचुअल फंड की भांति यहां पर कोई फंड मैनेजर नही बैठा है जो रेगुलरली फंड को मैनेज करता हो, रिटर्न्स को बढ़ाने की कोशिश करता हो। ऐसा कुछ भी नही होता है

इसलिए ETFs का एक्सपेंस रेश्यो बहुत कम है जो इसे एक cost effective investment ऑप्शन बनाता है.

एक्सचेंज ट्रेडेड फंड्स का एक्सपेंस रेश्यो On an average 0.1% – 0.3% के बीच होता है।

और Equity ETFs में तो इससे भी कम होता है। इक्विटी ईटीएफ में जनरली 0.01% – 0.1% के बीच एक्सपेंस रेश्यो होता है।

और बात करें सेक्टोरल ईटीएफ की तो इसमें एक्सपेंस रेश्यो 0.1% – 0.3% के बीच होता है।

Debt ETFs में एक्सपेंस रेश्यो होता है 0.1% – 0.3% के बीच और इसके बाद आता है आपका गोल्ड ईटीएफ जिसमें एक्सपेंस रेश्यो थोड़ा सा ज्यादा होता है 0.5% – 1% के बीच होता है।

3. Better returns

चूंकि इसकी कॉस्ट इतनी कम है इसलिए इन्वेस्टमेंट पर जो रिटर्न मिलता है वो बढ़ जाता है।

4. आसान खरीदी-बिक्री

निवेशक ETFs को शेयर्स की भांति पूरे ट्रेडिंग डे के दौरान कभी भी खरीद और बेच सकते हैं।

वहीं इसके विपरीत म्यूचुअल फंड को दिन के अंत में केवल एक बार ही खरीद या बेच सकते हैं।

साथ ही ETFs में लिक्विडिटी भी अच्छी खासी मिलती है इसलिए खरीदने के बाद बेचते टाइम कोई दिक्कत नही आता है आसानी से Sell हो जाता है।

4. पारदर्शिता

ईटीएफ अपने होल्डिंग्स को डेली डिस्क्लोज करते हैं, जिससे निवेशकों को पोर्टफोलियो की संरचना के बारे में transparencyऔर clarity मिलती है।

5. टैक्स एफिशिएंसी

ईटीएफ आमतौर पर म्यूचुअल फंड की तुलना में अधिक कर-कुशल होते हैं, क्योंकि वे अपनी अनूठी संरचना के कारण lower capital gains taxes के अंडर आते हैं।

Capital gains tax का मतलब होता है इन्वेस्टमेंट से जो प्रॉफिट हुआ है उसपर टैक्स लगता है।

Drawbacks of investing in ETFs in Hindi

 1. ट्रैकिंग त्रुटि

ईटीएफ का प्रदर्शन underlying index को सटीक रूप से दोहरा नहीं सकता है, जिसके परिणामस्वरूप ट्रैकिंग त्रुटि होती है।

2. लिक्विडिटी रिस्क

कुछ ईटीएफ में ट्रेडिंग वॉल्यूम कम हो सकता है, जिससे वांछित मूल्य पर शेयर खरीदना या बेचना मुश्किल हो जाता है।

3. अति-विविधता

ईटीएफ में बड़ी संख्या में प्रतिभूतियां (Securities) हो सकती हैं, जिसके परिणामस्वरूप अति-विविधीकरण और इसे संभावित रिटर्न कम हो सकते हैं।

4. Sector concentration

कुछ ETF का किसी विशेष क्षेत्र या उद्योग में बहुत ज्यादा फोकस हो सकता है, जिससे ETF के प्रदर्शन को प्रभावित करने वाले क्षेत्र-विशिष्ट घटनाओं का जोखिम बढ़ जाता है।

5. मार्केट रिस्क

ईटीएफ, मार्केट रिस्क के अधीन हैं, जिसका अर्थ है कि ईटीएफ फंड में शामिल एसेट्स के प्रदर्शन के आधार पर ETF के मूल्य में उतार-चढ़ाव हो सकता है।

ईटीएफ में निवेश कैसे करें?

ईटीएफ में निवेश करने के लिए नीचे बताए गए स्टेप्स को फॉलो करें,

1. ब्रोकर चुनें

ईटीएफ में निवेश करने के लिए सबसे पहला स्टेप है एक अच्छे ब्रोकरेज का चुनाव करना। निवेशक स्टॉक ब्रोकर या ऑनलाइन ट्रेडिंग प्लेटफॉर्म के माध्यम से ईटीएफ में निवेश कर सकते हैं। एक अच्छे ट्रैक रिकॉर्ड वाले विश्वसनीय ब्रोकर को चुनना आवश्यक होता है।

2. डीमेट और ट्रेडिंग अकाउंट खोलें

ईटीएफ शेयर रखने के लिए निवेशकों को एक डीमेट खाता खोलना होगा। डीमेट खाता एक डिजिटल खाता होता है जिसमें शेयरों को इलेक्ट्रॉनिक फॉर्म में रखा जाता है।

डीमेट अकाउंट आप ऑफलाइन ब्रोकरेज फर्म या ऑनलाइन ट्रेडिंग प्लेटफॉर्म के माध्यम से ओपन कर सकते हैं।

3. ईटीएफ चुनें

तीसरे स्टेप में अब निवेशकों को एक ऐसा ETFs चुनना चाहिए जो उनके निवेश लक्ष्यों और जोखिम सहनशीलता के साथ align होता हो। भारत में कई ETFs हैं, जो indices और sectors की एक विस्तृत श्रृंखला को कवर करते हैं।

4. खरीदी ऑर्डर दें

निवेशक अपने ब्रोकर या ऑनलाइन ट्रेडिंग प्लेटफॉर्म के माध्यम से मार्केट या लिमिट ऑर्डर देकर ईटीएफ शेयर खरीद या बेच सकते हैं।

ETFs खरीदने के लिए आपको बस क्वांटिटी या अमाउंट सेलेक्ट करना है और अपने ब्रोकर या ऑनलाइन ट्रेडिंग प्लेटफॉर्म को खरीदी ऑर्डर देना है।

खरीदी कंप्लीट होने के बाद ईटीएफ आपके डीमेट अकाउंट में क्रेडिट कर दिया जायेगा।

बेस्ट ईटीएफ ट्रेडिंग रणनीतियां

1. Buy and hold

इस रणनीति में ईटीएफ खरीदना और इसे लंबी अवधि के लिए, आमतौर पर वर्षों या दशकों तक रखना शामिल है। यह रणनीति उन निवेशकों के लिए उपयुक्त है जो लंबी अवधि के निवेश माइंडसेट और Buy-and-hold दृष्टिकोण रखते हैं।

2. Dollar-cost averaging

इस रणनीति में बाजार के उतार-चढ़ाव की परवाह किए बिना नियमित रूप से एक निश्चित राशि का निवेश करना शामिल है। यह रणनीति निवेशकों को बाजार में गिरावट का फायदा उठाने और गलत समय पर निवेश करने के जोखिम को कम करने में मदद कर सकती है।

3. Sector rotation

इस रणनीति में बाजार के प्रदर्शन के आधार पर सेक्टरों या उद्योगों के बीच रोटेशन शामिल है। निवेशक इस रणनीति का उपयोग बाजार के रुझान का लाभ उठाने और संभावित रूप से रिटर्न को बढ़ाने के लिए कर सकते हैं।

4. Asset allocation

इस रणनीति में स्टॉक, बॉन्ड और अन्य प्रतिभूतियों सहित संपत्तियों के विविध पोर्टफोलियो में निवेश करना शामिल है। निवेशक इस रणनीति का उपयोग जोखिम को कम करने और संभावित रूप से रिटर्न बढ़ाने के लिए कर सकते हैं।

FAQs

प्र: ईटीएफ क्या है?

ETF एक ऐसा फंड होता है जिसकी यूनिट/शेयर को स्टॉक एक्सचेंज में किसी कंपनी के स्टॉक्स की तरह खरीदा और बेचा जाता है।

प्र: भारत का पहला ईटीएफ कौनसा था?

भारत का पहला ईटीएफ Nifty Bees नामक ETF था जिसे 2002 में लॉन्च किया गया था।

प्र: ईटीएफ कितने प्रकार के होते हैं?

ETF बहुत तरह के होते हैं लेकिन भारत में मुख्य रूप से तीन ही प्रकार के ईटीएफ सबसे ज्यादा चलते हैं, 1. Equity ETFs 2. Debt ETFs 3. Commodity ETFs

प्र: ETF का पूरा नाम क्या है?

ETF का पूरा नाम है, Exchange Traded Funds.

Final words

ईटीएफ ने अपनी कम लागत, लचीलेपन और पारदर्शिता के कारण भारत में निवेशकों के बीच महत्वपूर्ण लोकप्रियता हासिल की है।

उचित रिसर्च और उचित परिश्रम के साथ, ईटीएफ एक डाइवर्सिफाइड इन्वेस्टमेंट पोर्टफोलियो बनाने के इच्छुक निवेशकों के लिए एक मूल्यवान टूल साबित हो सकता है।

साथ ही निवेशकों को ईटीएफ ट्रेडिंग से जुड़े जोखिमों के बारे में पता होना चाहिए और ईटीएफ में निवेश करने से पहले अपने निवेश उद्देश्यों और जोखिम सहनशीलता पर सावधानी से विचार करना चाहिए।

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