Finance kya hai | Types of finance | Personal finance | Corporate finance | Public finance | FAQs
नमस्कार दोस्तों आप का wealthgif.com पर एक बार फिर से स्वागत है। आज के लेख में हम जानेंगे की फाइनेंस क्या होता है और यह कितने प्रकार के होते हैं.
इसलिए यदि आप फाइनेंस और उसके प्रकारों के बारे में विस्तार से जानना चाहते हैं तो इस पोस्ट को अंत तक जरूर पढियेगा। चलिए शुरू करते हैं और सबसे पहले जानते हैं Finanace का हिंदी meaning क्या है..
Finance Meaning in Hindi
अगर हम जनरल टर्म में फाइनेंस की बात करते हैं तो, एक मीनिंग निकलता है और हम जो स्टडी करते हैं उससे एक, दूसरा मीनिंग निकलता है.
एक जो मीनिंग है फाइनेंस का वह है Resource
हम मार्केट में बाइक, स्कूटी, या कार लेने जाते हैं तो अगर हमने इसे स्टॉलमेंट में लिया है, लोन पर लिया है तो हम कहते हैं कि फलाना गाड़ी मैंने फाइनेंस पर लिया है/ गाड़ी को फाइनेंस करवाया है.
मार्केट में फाइनेंस कंपनियां है जो आपकी चीजों को फाइनेंस करती है. तो यह रिसोर्स (resource) हुआ.
फाइनेंस का जो पहला कांसेप्ट लेकर चलते हैं वह है रिसोर्स. कि हमें पैसा कहां से मिलता है अपनी चीज को खरीदने के लिए. हालांकि बाद में यह पैसा लौटाना भी होता है जो एक अलग बात है. तो फाइनेंस का जो पहला मीनिंग है. वह यह है कि आप किस तरीके से पैसे को अरेंज करते हैं अपनी कोई चीज खरीदने के लिए and that is resource.
और फाइनेंस का दूसरा मीनिंग है finance as a Discipline. जिसकी हम पढ़ाई करते हैं।
ये एक discipline होता है अर्थात एक सब्जेक्ट होता है. जिस तरह से फिजिक्स केमिस्ट्री सोशल साइंस आदि एक सब्जेक्ट है उसी तरह से फाइनेंस भी एक अलग सब्जेक्ट है. इस सब्जेक्ट के अंदर हम एक individual, एक firm, एक corporate, एक organisation तथा किसी देश की सरकार किस तरह से अपने money flows को मैनेज करती है उसका अध्ययन करते हैं.
money flows अर्थात पैसा कहां से आ रहा है और कहां जा रहा है. इसमें जितनी भी एक्टिविटीज शामिल होती है वह फाइनेंस कहलाती है. चाहे वह कोई individual कर रहा हो या किसी देश की सरकार कर रही हो या कोई ऑर्गेनाइजेशन कर रहा हो. यदि इसे और भी सरल भाषा में कहें तो हम यह भी कह सकते हैं कि people make decisions about the collection and allocation of resources वह finance है.
Finance kya hai
- पैसे को लाना और उसे सही जगह खर्च करना फाइनेंस है. चाहे वह individual करें या चाहे वह कोई organization करें या कोई सरकार करें. कोई भी शख्स पहले पैसे को कलेक्ट करता है, अरेंज करता है फिर उसको खर्च करता है इसे ही हम फाइनेंस कहते हैं.
इन सारी चीजों के इंवॉल्वमेंट को देखते हुए हम कह सकते हैं कि फाइनेंस एक बहुत ही ज्यादा broader term है. एक बहुत बड़ी term है. इसके अंदर बैंकिंग भी आ जाता है. लिवरेज या उधर भी आ जाता है. क्रेडिट भी आ जाता है जो खुद एक फाइनेंस है. कैपिटल मार्केट भी आ जाता है. Money और investment भी आ जाता है. इन सभी चीजों को फाइनेंस में include किया जाता है.
फाइनेंस का जो कांसेप्ट है वह माइक्रो या मैक्रो इकोनॉमिक्स से ही originate हुआ है और एक अलग discipline बना है. 19वीं सदी के अंत तक फाइनेंस इकोनॉमिक्स का ही एक पार्ट था. इकोनॉमिक्स की एक ब्रांच थी लेकिन बाद में इसे एक अलग discipline बना दिया गया.
फाइनेंस के प्रकार | Types of finance in Hindi
जब हम फाइनेंस के परिभाषा और मीनिंग की बात कर रहे थे तब हमने कहा कि यहां पर 3 ही बॉडीज है जो फाइनेंस की एक्टिविटीज को अंजाम देती है या तो वह individual होगा या corporate होगा या government होगा. इसके प्रकार को भी उसी हिसाब से डिवाइड किया गया है.
फाइनेंस तीन प्रकार की होती है –
- Personal Finance
- Corporate Finance
- Public Finance
आइए फाइनेंस के इन तीनों प्रकारों को एक-एक कर समझते है.
1. Personal finance kya hai
- आप as an individual पैसा कहां से arrange करते हो और कहां पर उसे खर्च करते हो that is personal finance.
पर्सनल फाइनेंस स्पेसिफिकली एक particular person से ही रिलेटेड होता है. यानी आप अपना खुद का फाइनेंस डिसीजन ले रहे हो. कोई और अपना डिसीजन ले रहा.
और ध्यान रखने योग्य बात यह है की हर व्यक्ति का सिचुएशन अलग-अलग होता है. अतः यह totally situation और activities पर depend करता है individual to individual.
इसे एक उदाहरण से समझते हैं. एक व्यक्ति की सैलरी ₹10,000 है वह भी अपने वर्तमान और फ्यूचर की प्लानिंग करता है. पैसे कहां से आ रहा है और कहां जा रहा है उसका प्लानिंग करता है. दूसरा व्यक्ति जिसकी सैलरी 10 लाख रुपए है. वह भी अपने फाइनेंस का प्लानिंग करता है.
तो एक 10 लाख रुपए सैलरी वाला अपना प्लानिंग लेकर चल रहा है और एक ₹10,000 वाला अपना प्लानिंग लेकर चल रहा है. इन दोनों का ही प्लानिंग एक दूसरे से एकदम डिफरेंट होगा. एक बंदे का प्लानिंग 10 लाख रुपए के हिसाब से होगी और दूसरे बंदे का प्लानिंग 10 हजार के हिसाब से होगी. तो इसलिए कहा जाता है कि पर्सनल फाइनेंस पूरी तरह से व्यक्ति के परिस्थितियों (situations) और फाइनेंसियल एक्टिविटीज पर डिपेंड करता है.
पर्सनल फाइनेंस किसी इंडिविजुअल पर्सन की निम्न चीजों पर डिपेंड करता है,
• उस पर्सन के earnings पर depend करेगा.
• व्यक्ति के living requirements पर डिपेंड करेगा. जिसकी सैलरी बहुत ज्यादा है उसकी रिक्वायरमेंट्स अलग है. जिसकी बहुत कम सैलरी है उसकी रिक्वायरमेंट्स अलग है. हर आदमी का लिविंग स्टैंडर्ड अलग-अलग होता है.
• व्यक्ति का फ्यूचर प्लान क्या है उस पर डिपेंड करेगा.
• आज व्यक्ति जो इन्वेस्ट कर रहा है उसका आगे क्या करेगा उस पर डिपेंड करता है.
• उसकी इच्छाएं क्या है. किसी भी व्यक्ति का जो पर्सनल फाइनेंस है वह इन सब चीजों पर डिपेंड करता है.
पर्सनल फाइनेंस में क्या-क्या आता है ?
कोई भी व्यक्ति जो काम कर रहा होता है जो जॉब वगैरह कर रहा होता है. तब वह रिटायरमेंट के लिए कोई ना कोई प्लानिंग जरूर करता है. यानी आज मैं इनवेस्ट करता हूं ताकि मेरे रिटायरमेंट के बाद मुझे पैसा मिलता रहे. ये पर्सनल फाइनेंस में आता है.
आपने कोई फाइनेंशियल प्रोडक्ट खरीदा है जैसे- क्रेडिट कार्ड, इंश्योरेंस, लोन, इन्वेस्टमेंट आदि तो यह सब आपके पर्सनल फाइनेंस में आ जाते हैं क्योंकि आप यह अपने खुद लिए कर कर रहे हैं.
Note: वह सारी की सारी एक्टिविटीज जो मैं खुद अपने लिए कर रहा हूं that is personal finance.
बैंक भी पर्सनल फाइनेंस का एक पार्ट होता है क्योंकि आप अपने savings बैंक में रखते हो. ऑनलाइन बैंकिंग, क्रेडिट कार्ड, यूपीआई आदि के जरिए फिर आप उस पैसे को यूज करते हो. अतः पर्सनल फाइनेंस के अंदर एक portion बैंक का भी आ जाता है.
2. Corporate finance kya hai
- All the financial activities which is related with the corporation is called corporate finance.
- अर्थात वह सारी की सारी फाइनेंशियल एक्टिविटीज जो किसी कॉरपोरेशन से रिलेटेड होती है कॉरपोरेट फाइनेंस कहलाती है.
- किसी भी कॉरपोरेशन के अंदर पैसे को किस तरह से arrange किया जाता है और किस तरह से spent किया जाता है कॉरपोरेट फाइनेंस कहलाता है.
एक कॉरपोरेट पैसा कहां से अरेंज करती है?
एक कॉर्पोरेट शेयर बेचकर, बांड बेचकर और बैंक से लोन लेकर पैसे अरेंज करती है. इसके अलावा और भी बहुत से अलग-अलग रिसोर्सेज है जहां से एक कॉर्पोरेट पैसे अरेंज करता है.
किसी भी corporate/ business/ firm के अंदर एक अलग से डिपार्टमेंट होता है जो यह काम करता है. उसका काम सिर्फ यही है कि पैसे कहां से अरेंज करना है और कहां पर लगाना है यह डिसाइड करता है. एवं और भी कई सारी decesions होती है जो इस डिपार्टमेंट के द्वारा ली जाती है. उदाहरण के लिए. एक डिसीजन यह है कि हमारे पास दो प्रोजेक्ट हैं हमें दोनों ही प्रोजेक्ट चलाने हैं लेकिन दोनों में से कौन सा ज्यादा इंपॉर्टेंट है किसको फाइनेंस करना चाहिए और किसको अभी के लिए होल्ड पर रखना चाहिए.
दूसरा उदाहरण यह है कि आप एक कॉरपोरेशन चला रहे हैं और आपकी कॉरपोरेशन को पैसा चाहिए. अब आप पैसा दो तरीके से ले सकती हैं या तो आप बॉन्ड बेचो या तो शेयर बेचो. इन दोनों तरीकों में से आपके लिए बेस्ट क्या है वह आपके कॉरपोरेशन का फाइनेंस डिपार्टमेंट डिसाइड करता है.
3. Public Finance kya hai
- इसमें भी same concept है पैसे को अरेंज करना और उसे सही जगह पर खर्च करना. जब यह काम सरकार करती है तो यह पब्लिक फाइनेंस कहलाता है.
पब्लिक फाइनेंस में सरकार निम्न कार्य करती है,
1. Taxation
2. Government spending
3. Budgeting
4. Debt issuing
5. Policy making for public betterment
6. यदि मार्केट फैलियर का खतरा है, मार्केट फेल हो सकता है तो ऐसी स्थिति में सरकार निम्न कार्य करती –
a) allocation of resources
b) distribution of income
c) economic stability.
सरकार पैसे कहां से अरेंज करती है?
देश को या राज्य या निगम को चलाने के लिए सरकार को रेगुलर फंडिंग की जरूरत होती है. और रेगुलर फंडिंग का सबसे बड़ा स्रोत टैक्सेशन होता है. सरकार टैक्स से सबसे ज्यादा पैसा अरेंज करती है. इसके बाद बैंक से उधार लेकर, इंश्योरेंस कंपनियों से उधार लेकर या दूसरे देशों से उधार लेकर पैसे का अरेंजमेंट करती है.
सरकार कहीं से भी पैसे को ले उसे अपने पास लाए और फिर उस पैसे को सही जगह पर यूज करें. इन सारे काम को करने के लिए सरकार के पास एक अलग से मंत्रालय भी होता है जिसे वित्त मंत्रालय कहते हैं. जो सरकार की फाइनेंस रिलेटेड एक्टिविटीज को देखती है.
Faq about Finance kya hai
[sc_fs_multi_faq headline-0=”h2″ question-0=”वित्त क्या है?” answer-0=”धन का प्रबंधन वित्त कहलाता है. Management of money flow. पैसा कहां से आ रहा और कहां जा रहा है इसमें जितनी भी एक्टिविटीज शामिल होती है वह वह वित्त कहलाती है.” image-0=”” headline-1=”h2″ question-1=”फाइनेंस का मतलब क्या होता है?” answer-1=”फाइनेंस का मोटा माटी दो मतलब होता है, 1. फाइनेंस एक रिसोर्स है जो हमें किसी चीज को खरीदने के लिए या कहीं पर spent करने के लिए पैसे उपलब्ध कराती है. 2. Finance is a management of money flow पैसे को पहले अरेंज करना फिर उसको सही जगह पर खर्च/इन्वेस्ट करना फाइनेंस है.” image-1=”” headline-2=”h2″ question-2=”फाइनेंस कितने प्रकार की होती है?” answer-2=”फाइनेंस मुख्यतः तीन प्रकार की होती है, • पर्सनल फाइनेंस • कॉरपोरेट फाइनेंस • पब्लिक फाइनेंस” image-2=”” headline-3=”h2″ question-3=”वित्त के 3 प्रकार कौनसे हैं?” answer-3=”वित्त के मुख्यतः 3 प्रकार होते हैं – 1. व्यक्तिगत वित्त 2. निगम वित्त 3. लोक वित्त” image-3=”” headline-4=”h2″ question-4=”फाइनेंस का उद्देश्य क्या है?” answer-4=”वैसे तो फाइनेंस के कई सारे उद्देश्य हैं लेकिन इसका मुख्य उद्देश्य व्यक्ति/ बिजनेस/ सरकार को पूंजी उपलब्ध कराना और पूंजी का प्रबंध करना होता है.” image-4=”” headline-5=”h2″ question-5=”लोक वित्त (पब्लिक फाइनेंस) के जनक कौन हैं?” answer-5=”जर्मन मूल के अमेरिकी अर्थशास्त्री रिचर्ड एस मुसग्रेव को लोक वित्त लोक वित्त (पब्लिक फाइनेंस) का जनक कहा जाता है. उन्होंने ‘द थ्योरी ऑफ पब्लिक फाइनेंस’ पुस्तक लिखा था.” image-5=”” headline-6=”h2″ question-6=”वित्त वर्ष कब से कब तक होता है?” answer-6=”वित्तीय वर्ष 1 अप्रैल से शुरू होकर 31 मार्च को खत्म होता है. इसे अंग्रेजी भाषा में फाइनेंशियल ईयर भी कहते हैं. भारत समेत दुनियाभर के 33 देशों में 1 अप्रैल से वित्त वर्ष की शुरुआत होती है.” image-6=”” headline-7=”h2″ question-7=”फाइनेंस कंपनी क्या है?” answer-7=”फाइनेंस कंपनी एक ऐसा प्राइवेट या पब्लिक संगठन होता है जो किसी individual या business को धन उपलब्ध कराते हैं.” image-7=”” count=”8″ html=”true” css_class=””]
Final words
यह था हमारा आज का लेख Finance kya hai के ऊपर जिसमे हमने जाना की Finance kya hai और कितने प्रकार की होती है।
तो दोस्तों मैं आशा करता हूं की आपको यह लेख पसंद आया होगा। इसी तरह के और भी फाइनेंस संबधित लेख पढ़ने के लिए आप हमारे साइट पर मौजूद अन्य ब्लॉग्स को भी आप पढ़ सकते हैं। Stay Connected bye bye.
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